बवासीर को पाइल्स या फिर हेमोराइड भी कहा जाता है, यह एक ऐसी समस्या है जिससे हर 10 में से 3 व्यक्ति, इस परेशानी जूझ रहा है | बवासीर में व्यक्ति के गूदे के अंदर, बाहरी भाग में और मलाशय के निचले हिस्से में सूजन आ जाती है | जिसकी वजह से उस हिस्से में मस्से बनने लग जाते है | यह मस्से कभी अंदर की तरफ चले जाते है, तो कभी बाहर की तरफ आ जाते है | बवासीर किसी भी वर्ग के लोगों को प्रभावित कर सकती है | इसलिए यह ज़रूरी होता है की बवासीर से पीड़ित व्यक्ति को अपना सही समय पर इलाज ज़रूर करवाना चाहिए | यदि सही समय पर इलाज न करवाया जाएं तो यह आगे चलकर बहुत बड़ी बीमारी का कारण बन सकती है |
बवासीर शरीर के गूदे में मौजूद टिश्यू के बड़े और सूजन वाले गुछे होते है, जो अंदर या फिर बाहर कही भी हो सकते है और इनका आकार बिलकुल अलग होता है | अधिकतर मामलों में लोग सबसे ज्यादा आंतरिक बवासीर के चपेट में आ जाते है, जिसे अक्सर गूदे छिद्र से 2-4 सेमी में देखा जा सकता है और गूदे के बाहरी ओर बवासीर विकसित होने लग जाता है | आइये जानते है बवासीर कितने प्रकार के होते है :-
बवासीर कितने प्रकार के होते है ?
बवासीर को आमतौर पर दो भागों में विभाजित किया गया, आंतरिक बवासीर और बाहरी बवासीर | जो आंतरिक बवासीर होते है, उसे चार ग्रेड में बांटा गया है, जिसमें शामिल है :-
ग्रेड 1 :- इस ग्रेड में बवासीर गूदे के अंदर रहता है, जिस व्यक्ति को कुछ ख़ास दर्द का अनुभव नहीं होता |
ग्रेड 2 :- इस ग्रेड में बवासीर गूदे के बाहर निकल जाता है, जिससे व्यक्ति मल त्यागने के दौरान कई तरह की तकलीफों से गुजरना पड़ जाता है |
ग्रेड 3 :- इस ग्रेड बवासीर को शारीरिक रूप से अंदर की तरफ धकेलना पड़ता है |
ग्रेड 4 :- इस ग्रेड का बवासीर बड़ी गांठ की तरह होता है, जो स्थायी रूप से गूदे से बाहर की ओर निकल जाता है |
बवासीर के मुख्य लक्षण कौन-से होते है ?
- मल त्यागने के दौरान मल के साथ रक्त का आना
- गूदे में बार-बार खुजली होना
- गूदे में तीव्र दर्द का अनुभव होना
- पेशाब टिश्यू में चमकीले लाल रक्त का दिखाई देना
बवासीर के बढ़ जाने पर क्या होता है ?
- गूदे में अधिक रक्तस्राव होने लग जाता है |
- वायरस संक्रमण बढ़ जाता है |
- पेशाब करने में असमर्थता होना |
- एनल फिस्टुला |
- खूनी बवासीर की समस्या होना |
बवासीर होने के मुख्य कारण क्या है ?
- उम्र बढ़ने के साथ-साथ गुदा नलिका काफी कमज़ोर होने लग जाती है, जिस वजह से बवासीर की संभावना बढ़ जाती है |
- गर्भावस्था के दौरान भी महिलाओं को बवासीर की समस्या हो सकती है | ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान बढ़ते पेट के कारण गूदे में काफी दबाव पड़ने लग जाता है, जिसके परिणामस्वरुप बवासीर के उत्पन्न होने का जोखिम कारक बढ़ जाता है | हलाकि डिलीवरी के बाद इसमें सुधार हो जाता है |
- जब भी व्यक्ति वजनदार वस्तु को उठाते हो तो इससे गूदे पर काफी दबाव पड़ता है | जिसकी वजह से भी बवासीर की समस्या उत्पन्न हो जाती है |
बवासीर का कैसे करें निदान ?
यदि आप ऊपर बताए गए किसी भी लक्षण से गुजर रहे है तो बेहतर है की आप किसी अच्छे डॉक्टर के पास जाएं और अपना इलाज करवाएं, ताकि बवासीर की समस्या से आपको जल्द से जल्द छुटकारा मिल सके, क्योंकि इलाज में देरी होने पर यह आगे जाकर बहुत बड़ी बीमारी का कारण बन सकता है |
यदि आप बवासीर की समस्या से पीड़ित है तो इलाज के लिए यूनियन सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल से परामर्श कर सकता है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर नवदीप सिंह प्रॉक्टोलॉजिस्ट में स्पेशलिस्ट है, जो इस बवासीर का इलाज कर इससे छुटकारा दिलाने में आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकते है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही यूनियन सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |